सिन्धी साहित्यकारों की काव्य गोष्टी—

 

दिनांक दिनांक १२ july , २०१४ , मुंबई में देवी नागरानी जी के निवास, बांद्रा में सिन्धी साहित्यकारों की काव्य गोष्टी समपन हुई। इसमें शामिल हुई सिंधी समाज की सशक्त कहानीकार माया रही, श्री नन्द जवेरी जो अपने साहित्य द्वारा सिन्धी साहित्य को समृद्ध करते आ रहे है, उन्होने श्री नारी लच्छानी की शायरी पर अपने कुछ विचार प्रस्तुत किए।  सिंधी साहित्य के जाने माने दोहा व ग़ज़ल की माहिर उस्ताद श्री लक्ष्मण दुबे जी ताज़ा महकते शेर सुनाकर सभी को मुग्ध कर दिया। बेस्ट सिन्धी संस्था, मुम्बई के संस्थापक अदीब होलराम हंस ने सिन्धी वरिष्ठ लेखक श्री अर्जुन चावला की नवनीतम पुस्तक पर अपने विचार पेश किए।

2014 26 july (7)      2014 26 july (24)

    श्री जयराम रूपानी जो आधी सदी से सिन्धी साहित्य व संस्कृति से जुड़े अपनी सेवाएँ देते रहे अपनी पत्नी के साथ मौजूद रहे। ब्रिज मोहन एवं पूनम ब्रिज पंजाबी, दोनों ने अपनी व देवी नागरानी की ग़ज़लों को स्वरबद्ध करके गाया और अपने फन से परिचित करवाया.  डॉ. संगीता सहजवानी ने इस बार अपनी कविता न पढ़कर एक मधुर हिन्दी गीत गया-“’तुम जो हमारे मीत  न होते” गाया, साथ में गुनगुनाहट के कई सुर इस पुराने गीत से जुड़ते रहे। अरुण बाबानी ने अपनी नई प्रकाशित पुस्तक “poems, कवितायें, कविताऊँ” से अभिभूत करती हुई दो आज़ाद रचनाओं का पाठ किया। एक थी ‘ब्या माणहूँ’ और दूसरी उनके उनके अपने निजी अहसासत व अनुभव दर्ज करते हुए थी, जो श्रोताओं को मुतासिर करती रही।  गीता बिंदरानी ने अपने परिचय के साथ बहुत ही सटीक और अर्थपूर्ण “एक सिट्टा” पढ़े। देवी नागरानी ने श्री कृष्ण राही जी की ग़ज़ल “दिल में न दिल का दर्द समाए तो क्या करूँ…..को सुर से सजाकर पेश किया और अपनी एक सिन्धी ग़ज़ल भी पढ़ी। विजय चिमनलाल- उन्होने सिंधी कलामों को सुर में पेश करते हुए सबकी वाह-वाही लूटी… ! श्रोता स्वरूप उपस्थित रहे सोनी मूलचंदानी  व उनके पति गुरबख्श मूलचंदानी, सुंदर गुरुसहानी, “असीं सिंधी” पत्रिका के संपादक, गोप गोलानी जो एक पत्रिकारिता के लिहाज़ से एक अच्छे फोटोग्राफर भी हैं, रशिम जी व प्रो. यशोधरा। सुरमई शाम सभी रंगों को समेटते हुए नाश्ते के साथ सम्पन्न हुई। जयहिंद

गुरु पूर्णिमा दिवस-2014

2014-22 June (4)       2014-22 June (2)

12 जुलाई, 2014 साठे कॉलेज, विले पार्ले, मुंबई के प्रांगण में गुरु पूर्णिमा के    पावन दिवस पर एक उज्वल भविष्य का सकारात्मक, साहित्यक, संस्कृतिक संदेशात्मक स्वरूप-कॉलेज के उस्तादों, शागिर्दों व आमंत्रित कविगण की उपस्थिती में सम्पन्न हुआ,

     आगाज़ हुआ दीप प्रज्वलन के साथ, कॉलेज की दो कन्याओं ने गुरु वंदना की और कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ. कविता रेगे जी ने अपनी बात रखते हुए इस दिन की महत्वता को प्रधानता दी, और आए हुए मेहमानों का स्वागत किया। माननीय सचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह व कॉलेज के अन्य उस्तादों की हाज़िरी में उपस्थित मेहमानों का पुष्प गुंचों से सम्मान करते हुए मंचासीन कवियों और कवित्रियों को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया। पाठ करने वाले कविगण उपस्थिति रहे –रत्ना झा, देवी नागरानी, सागर त्रिपाठी, लक्षमण दुबे, डॉ॰ लक्ष्मण शर्मा वाहिद, राजम नटराजम पिल्लै। सभी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से संस्कृति के इस दिवस का संदेश दिया। अंत में प्रदीप सिंह जी ने आभार की रस्म निभाई। जयहिन्द

कला और साहित्य का अद्भुत संगम

कला और साहित्य का अद्भुत संगम-“कारवां हैंडस आर्ट गैलरी”

2014 -Naima ex (1)

आर्टिस्ट और शायरा नाईमा इम्तियाज़ की पेंटिंग्स की नुमाइश

2014 -Naima ex (5)

मुंबई-दिनांक 8, अगस्त 2014 केम्पस कॉर्नर पर स्थित “कारवां हैंडस आर्ट गैलरी” में एक रंगा रंगी नुमाइश का विमोचन मशहूर गुलोकारा डॉक्टर शैलेश श्रीवास्तव के हाथों हुआ। इस नुमाइश में नईमा इम्तियाज़ की बनाई हुई खूबसूरत पैंटिंग्स के साथ-साथ उनकी नज़्मों और ग़ज़लों की तहरीरें भी साथ में पेश की गई थीं, जो उनके फन को बखूबी नुमायां कर रही थी। सभी ने नाइमा जी को इस सुंदर प्रदर्शिनी के लिए बधाई दी।

डॉक्टर शैलेश श्रीवास्तव ने अपनी सुरीली आवाज़ में नईमा इम्तियाज़ की शायरी को तरन्नुम में गुनगुनाते हुए यूं पेश किया कि महफिल पर सहर का आलम हवी हो गया। नामवर शकील वारसी ने हिंदुस्तान की गंगो-जामुनी तहज़ीब का ज़िक्र करते हुए नाइमा जी की उर्दू नज़्मों और ग़ज़लों का खुद अङ्ग्रेज़ी में किया अनुवाद पढ़त्ने लगे, जिसे गैर उर्दू लोंगों ने बहुत पसंद किया। अदब, आर्ट और फन से वास्ता रखने वाली शहर की कई जानी मानी हस्तियों ने इस नुमाइश में शिरकत की। मशहूर शायर डॉ. नवरोज़ कोतवाल और देवी नागरानी ने अपने उर्दू कलाम पेश किए। नईमा जी ने अपनी ग़ज़ल “लकीरें’ पेश की। ज्योति गजभिए ने हिन्दी कलाम का पाठ किया। उर्दू मरकज़ के अध्यक्ष जुबेर आज़मी ने अपनी नज़्म ‘वक़्त’ पढ़ कर सुनाई। मरकज़ के जनरल सचिव फ़रीद ख़ान और उर्दू की प्रोफेसर शबाना ख़ान ने अपने विचारों का इज़हार किया। “कारवां हैंडस” गैलरी की मैनेजर नाज़िया मरचंट ने मेज़बानी और मेहरबानी की रस्म अदा की। जयहिंद

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