भारत के महानगर मु्बई में अंतर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी
नये साल के प्रारंभ में १२ तारीख, २००८ अणुशक्ति नगर , मुम्बई में हिंदयुग्म के सहयोग से कवि कुलवंत जी द्वारा आयोजित काव्य गोष्टी सफलता संपन्न हुई. इस दौर को सफल बनाने में जो सहकार देने वाले हाथ रहे श्री कुलवंत सिंह, श्री अवनीश तिवारी और श्री आर. पी. हंस जिनके संयुक्त प्रयासों से स्कूल न॰१ के प्रांगण में संभव हुआ.
यह सम्मेलन अपने आप में एक सफल प्रयास रहा. अपने विचारों से अवगत कराते हुए कवियों ने अपने मत के अनुसार इसे विश्व हिंदी समेलन का दर्जा दिया, शायद इसलिये कि पूरब और पश्चिम के कवियों का उस सुअवसर पर अनोखा सँगम रहा जिसमें शामिल रहे कैनेडा की अति प्रभावशाली लेखल समीर लाल जी जिन्हें नेट पर आजकल उड़न तशतरी के नाम से जाना जा रहा है. वे इस गोष्टी के मुख्य महमान रहे, और संचालन में भी अपनी दक्षता को दर्शाते रहे. अध्यक्षता का स्थान लिया देवी नागरानी जी ने, और विशेष नाम जिसका जि़क्र है वो है आस्ट्रेलिया से पधारे श्री हरिहर अध्याय जी का, जो एक अच्छे रचनाकार होने के साथ साथ अपनी कविता की छाप भी छोड़ गए. संचालन की बागडौर बड़ी ही दक्षता के साथ श्री कुलवंत जी ने संभाली. एक टीम स्पिरिट का जलवा जो वहां मैंने पाया उसमें एक खा़स बात थी वह थी उनकी आदमीयत और आपनाइयत जो बख़ूबी घुली मिली नज़र आ रही थी.
काव्य गोष्टी का आगाज़ दीप को प्रज्वलित करने के पश्चात सरस्वती वंदना के साथ हुआ जिसकी प्रस्तुतकर्ता रहीं गौरी एवं सिमरन. कवि गण जिन्होंने काव्य पाठ से महफिल को सजाया और अपनी रस भरी कविताओं से उल्लास भरा माहौल पैदा किया ,उसमें कई मुक्तक, गीत, गज़ल शामिल थे. महफ़िल को मौसिकी का आलम बनाये रखने के लिये काफ़ी काफ़ी मददगार सिद्ध हूए.
मंच की शान बने, हिंदुस्तान की आन बने
सब के सब कवि यहां, इक दूजे के महमान बने.
तस्वीर में मौजूद सप्तरंगी कवि एवं कवित्रियों जिन्होंने रचनाओं का पाठ कियाः
, समीरलाल- कनाडा से, डा. हरिहर झा- आस्ट्रेलिया से, देवी नागरानी-न्यू जर्सी से, मरियम गजाला, नीरज गोस्वामी, राजीव सारस्वत, अरविंद राही, भरत शब्द वर्मा, हरनाम सिंह यादव, प्रमिला शर्मा, ऋषि कुमार मिश्र, रवि दत्त गौड़, शकुंतला शर्मा, मधुपेश मुंतजिर इंदौरी, डा. वफा, त्रिलोचन अरोड़ा, शीतल नागपुरी, मंजू गुप्ता, नंदलाल थापर, शैली, शारदा गोस्वामी, शुभकीर्ति माहेश्वरी, रमेश श्री वास्तव, विजय कुमार भटनागर, सुरिंदर रत्ती, वी डी तिवारी और रवि यादव.
इस कार्यक्रम की एक विशेष बात यह भी रही कि बहुत से कवियों ने देश के विभिन्न हिस्सों से और विदेशों से भी कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं भेजीं और गोष्ठी से जुड़ने का प्रयास भी किया – अपने संदेश भेजकर, रचनाएं भेजकर, और कार्यक्रम के दौरान फोन कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर. अमेरिका से प्रसिद्ध गीतकार रकेश ख्देलवाल और अभिनव शुक्ला से बात करते हुए एक सुखद आभास हुआ, यही कि हम सब एक है. देश और विदेश की सीमाएं अब मिलजुल रही हैं. दुबई से पूर्णिमा वर्मन (अभिव्यक्ति) ,कोयंबतूर से राजश्री, आंध्र प्रदेश से रमा द्विवेदी, औरंगाबाद से सुनीता यादव, मध्य प्रदेश से गिरीश बिलौरी, पाकिस्तान से गुल देहलवी. इन सभी का अभिनंदन.
नागरानी जी ने अंत में संबोधित करते हुए कहा ” अब देश और परदेस के बीच अंतर करना मुशकिल है. जहां एक हिंदुस्तानी ख,डा हो जाता है वहीं हिंदुस्तान का दिल धड़कने लगता है” अंत की ओर बढ़ते हुए एक सुर होकर सभी मौजूदा कवि गण ने “जन गन मन” गाया. सभी का साभार व आभार मानते हूए कवि कुलवात जी ने धन्यवाद अता किया, जिसके पूर्व खाने की व्यवस्था रही जहां कवि एक दूसरे से मेल मेलाप में व्यस्त रहे.
देवी नागरानी
१२.जनवरी २००८
dnangrani@gmail.com
ghughutibasuti said,
जनवरी 24, 2008 at 8:15 अपराह्न
बहुत बढ़िया रहा यह मिलन और उसकी रिपोर्ट ।
घुघूती बासूती
Anunad Singh said,
जनवरी 25, 2008 at 4:16 पूर्वाह्न
हिन्द-युग्म का यह प्रयास हिन्दी के लिये शुभ-संकेत है। अणुशक्तिनगर जैसे स्थान पर वैज्ञानिकों एवं इंजिनियरों के बीच हिन्दी काव्य सम्मेलन करना और भी विशेष महत्व का है।
धीरे-धीरे हिन्द-युग्म अखिल-भारतीय स्तर पर हिन्दी कावय सम्मेलनों का सूत्रधार बन सकता है।
Devi Nangrani said,
फ़रवरी 19, 2008 at 1:34 अपराह्न
Sach kaha hai Anunad Singh ji.
prachar aur prasaar is se behtar kya ho sakta hai.
Devi
कवि कुलवंत said,
मार्च 17, 2008 at 6:25 पूर्वाह्न
सम्माननीय देवी जी! आज ही यहां रिपोर्ट पढ़ी.. बहुत ही अच्छा लगा.. आपके आशीष का शुभेच्छु.. कवि कुलवंत सिंह