“सिंदूरी शाम कवियों के नाम”
बहु -भाषी कवि सम्मेलन ११, नवंबर की शाम श्री सत्य नारायण मंदिर, वुड साइड, न्यू यार्क में विद्याधाम की तरफ से सम्पन्न हुआ.
डॉ. सरिता मेहता विद्याधाम की निर्देशिका है जिनकी बतौर ये बहुभाषी कवि- सम्मेलन आयोजित किया गया. यह सफल कवि सम्मेलन एक तरह से कविओं का गुलशन “सिन्दूरी शाम-कविओं के नाम” एक नया पैग़ाम ले आया क्योंकि इसमें बहू-भाषी पंजाबी, बंगाली, सिन्धी, अवधी और अंग्रेज़ी भाषा के कवियों ने भाग लिया, और इस सामारोह की संचालक रही डॉक्टर सरिता मेहता. दीवाली की शुभकामनाओं के साथ मौजूद श्रोताओं ने उन्हें इस संगोष्ठी को आयोजित करने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी. ग्यान का दीपक जलाते हुए पंडित त्रिपाठी जी अपने मन में जड़े हुए काव्य प्रेम, राष्ट्र प्रेम, देश के प्रति भावनाएं अपने तरीके से छंदों में व्यक्त करते हुए कहा “अपने संस्कारों के रूप में वसीयत स्वरूप जो हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार सरिता जी सत्यनारायण मन्दिर में बखूबी करती रही हैं.”
डॉ.सरिता मेहता किसी पहचान की मोहताज नहीं है, शिक्षा के जगत में उनका हिन्दी के क्षेत्र में जो योगदान रहा है वह काबिले तारीफ है. अज्ञान का अँधेरा दूर करके ज्ञान की दिशा को उज्गार करने का यह प्रयास उनकी नवनीतम पुस्तक “आओ हिन्दी सीखें” के रूप में एक वरदान बनकर आया है जो हिन्दी को अंगेजी जुबां के आधार पर बचों एवं शिक्षकों को बहुत लाभाविंत कर रहा है. बचों के शिक्षण के लिए इनकी यह देन बचों के लिए एक अनमोल सौग़ात है. कला की कई दिशाओं में उनकी अभिरुचि रही है -मूलत: चित्रकार है कई ललित कला प्रदर्शिनियों में भाग लेती रही हैं और अनेक उपाधियों से निवाजी गई हैं.’ वह ख़ुद इसकी काव्य गोष्टी की सरंक्षक व संचालिका रही.
कवि गोष्टी में उपस्थित कवि गण थे -राम बाबू गौतम, आनंद आहूजा, अशोक व्यास, अनुराधा चंदर, ग़ुरबंस कौर गिल, पूर्णिमा देसाई, बिंदेश्वरी अगरवाल, अनंत कौर, सुषमा मल्होत्रा, वी.के चौधरी, मंजू राय, अनूप भार्गव, सीमा खुराना, देवी नागरानी और नीना वाही.
डा॰ सरिता मेहता जी की कविता के शब्द अब तक उनके छोड़े हुए नक्श याद दिला रही है, उनका मक्सद जो अनेकता में एकता के रंग भर रहा है…
फैलाया है मैंने अपना आँचल
इस धरती से उस अंबर तक
हम सब मिल एक हो जायें
विश्व में अमन शाँति का ध्वज फहरायें
ये ख्वाब है मेरा, सच हो जाये
ये मुशकिल है, असंभव तो नहीं.सरिता मेहता
कविता पाठ के रसपान कि कुछ झलकियाँ प्रस्तुत कर रही हूं जो जाने माने कवियों ने उस शाम को सजाने के लिये प्रस्तुत की.
वर्जीनिया से आई प्रख्यात कवित्री ग़ुरबंस कौर गिल ने अपने काव्य तथा साजो-आवाज़ से पँजाबी को रचना सुनाकर महफिल को अपनी गिरफ्त में बाँध रखा.
अनूप भार्गव की कविताओं में सत्य का सूरज चमकता हुआ दिखाई दिया मधुर क्षणों की अनुभूति है ये कविता का उन्वान दिवाली.
” कब तक लिए बैठी रहोगी मुट्ठी में धूप को
ज़रा हथेली को खोलो तो सवेरा हो.” अनूप
बिंदेश्वरी अगरवाल ने अवधि भाषा में ए हास्य रचना के द्वारा उनका प्रथम बार अमिरिका में
पाँव धरते ही जो तजुरबा हासिल किया बड़े रोचक ढँग से पेश किया जिससे वातावरण कुछ ज़्यादा चहकने लगा.
पूर्णिमा देसाई जी शिक्षायतन की निर्देशिका व हर्ता कर्ता है जिनकी रचनाओं का शुमार एक अनंन्त सागर की तरह लहलहाता है, जिसकी एक सुदर झलक सुस्वर में सुनाते हुए वे मानवता को एक स्देश भी दे रही थी -“आओ मानव बनें अब तन मन से” जो हमेशा एक मार्गदर्शक तुकबंदी है और रहेंगी.
वाह !!!सरल शुभ संदेश .
राम बाबू गौतम ने कई रचनाओं से अपना समाँ बांधा जिसमें खास थी उनकी वे छेडा खानी करते हुए जवान शोख अदाज, की रचना जो सब ने साराही.
आनंद आहूजा अपने समय के प्ख्यात कवि है जिनके अपने रचित भंडार से कुछ राह रौशन करती हुई
“न मंज़िल न मंजिल की राह चाहता हूँ
न दादे सुख़न न वाह वाह चाहता हूँ
तुम्हारी निगाहें अनंद जिसमें सब कुछ है शामिल
मैं बस तुमसे वो निगाह चाहता हूँ .”
एक पथिक का मार्गदर्शन करने के लिये बहुत कुछ गागर में भर दिया सागर को
आगे कहते हैं
अपना बचपन याद है
माँ के निवाले याद हैं
सुषमा मल्होत्रा शिक्षा क्षेत्र से जुडी हुई है, कविता पाठ के बाद भाषा की प्रगति के बारे में उन्होंने कई द्रष्टीकोण उजगार किये. हैरत हुई सुनकर कि अमरिका में पंजाबी भाषा का चलनअपना पांव रख चुका है. हिंदुस्तान की बहुभाषाएं यहां अब आम बोल चाल की भाषाएं होती जा रही है और यही हिंदी भाषा का असली प्रचार-प्रसार है.
नीना वाही एव् वी.के चौधरी ने भी रसमय रचना से निवाजा़
मत कहो कभी है अंधियारा
मैं साथ रहूंगी बन साया. यह थी मंजू राय जो आशावादी पैगाम ले आई हमारे लिये.चोली दामन का साथ होता है अंधेरे और उजाले का, पर नया भाव, नया अंदाज़ मन को बहुत भाया.
सीमा खुराना जी ने सुंदर प्रस्तुति से आगाज़ किय
तुम्हें न मिलूँगा कभी
ये फ़ैसला मेरा था. सीमा खुराना
अशोक व्यास जी की रचना बडी रोचक थी, एक समाँ बाँधने में सफल रही, जब वे पढ़ते रहे और श्रोता मुग्ध भाव से आँन्नद लेते रहे.
मेरी आँखों में वो सवेरा है
जिसको देखूं वो शख्स मेरा है.
कभी किरणों के झूले पर इठलाती है
तब पनिहारिन प्यास बुझाती है. अशोक व्यास
अनँत कौर ने अपने शायराने अंदाज, में अपनी हिंदी और पंजाबी भाषा में गझ़ल सुरों में पेश की. उनकी रचनाओं का विस्तार अनंत था. मेरी दाद उन्हें कबूल हो. आगे उनकी एक रचना का मुखड़ा सुनियेः
तेरे लिए तो इन्तिहान नहीं हूँ मैं
मैं जानती हूँ अब तेरी जाँ नहीं हूँ मैं. अनंत कौर
देवी नागरानी जो मूलतः सिंधी भाषी है अपनी एक सिंधी रचना का पाठ किया
बेरुखी बेसबब ब थींदी आ
प्यार में बेकसी ब थींदी आ.
साथ में हिंदी की एक गज़ल भी पेश की जिसके अल्फ़ाज़ हैं
“बचपन को छोड़ आए थे लेकिन हमारे पास
ता उम्र खेलती हुई अम्राइयां रहीं. ” देवी नागरानी
अंत की ओर बढते हुए बीना ओम ने मंत्र मुग्ध करने वाली अंग्रेजी में कविता सुनाई जिससे लिग चिंतन मनन के द्वार पर एक अलौकिक आनन्द लेते रहे. मन्दिर के नये प्रेसिडेंट श्री मुरलीधर ने सच की नई परिभाषा से परिचित कराते कहा “जब इंसान झूठ बोलना भूल जाता है तो वह अपने आप एक कवि बन जाता है.” उन्हें उनकी सेवाओं के लिये सन्मानित किया गया
सत्यनारायण मंदिर की तरफ से सन्मान करते हुए शास्त्री जगदीश त्रिपाठी जी ने डा॰ सरिता मेहता के इस काबिले- तारीफ कदम को एक आशावादी प्रयास मानते हुए कहा ” वे धन्यवाद की पात्र हैं और मैं उनकी आशावादिता पर मुग्ध हूं. जिस तरह चकोर पक्षी आसमाँ की तरफ उडता है चाँद को पाने की आकांक्षा लिये, बिना यह सोचे कि सफर कितना तवील है और पंखों में भी थके से हैं. बस लक्षय सामने रहता है उसके, उसी तरह सरिता जी ने ये नहीं सोचा कौन आयेगा, कितने साथ होंगे बस एक द्रढ संकल्प को आंजाम देने की कोशिश की. उनका यही प्रयास उन्हें मंजिल की तरफ ले जायेगा, यही मेरी शुभकामना है, यही मेरा आशीर्वाद है,” और इसके साथ ओर से उन्होंने स्वामी नारायण मंदिर की ओर से उन्हें सर्वोक्रष्ट विद्या रतन अलंकार से सन्मानित किया. फिर विध्या धाम की तरफ से शास्त्री जगदीश त्रिपाठी जी के कमल हस्त से सरिता जी की हाजिरी में जिन कविगण को सन्मान पत्त से शुशोभित किया गया वे हैं –
1. शास्त्री जगदीश त्रिपाठी जी अध्यात्मिक ग्यान रतन
२. रघुनाथ डुबे संगीत रतन
3. सीमा खुराना हिंदी साहित्य रतन
4. पूर्णिमा देसाई साहित्य सर्जन रतन
5. ग़ुरुबंस कौर गिल पंजाबी काव्य रतन
6 देवी नागरानी काव्य रतन
7. बालदेव सिंग गेरेवाल पंजाबी साहित्य रतन
८ डा॰सारिता मेहता सर्वोक्रष्ट विध्या रतन
सरिता जी ने शास्त्री जगदीश त्रिपाठी जी को अध्यात्मिक ग्यान रतन की उपाधी से सन्मानित किया किसके वो हकदार हैं. उनका परिचय तो सूरज को उंगली दिखाने के बराबर होगा. मंदिर में शिक्षा पा रहे तीन होनहार बच्चों को “उज्वल भविष्य रतन” से सन्मानत किया गया वे थे नील शदादपुरी, ओम तलरेजा, और रोहित तलरेजा.
अंत के पहले एक अनोखी शुरुवात करते हुए शास्त्री जगदीश त्रिपाठी जी के अनुज रघुनाथ डुबे ने अब शब्दों की सरिता को सुरों से सजाकर अपनी मधुर आवाज़ की गूंज में सबको समेट लिया. एक पाकीज़गी का वातावरण जो एक यादगार बन कर दिलों में पनपते रहेगा.
माँ हंस वादिनी शारदे
माँ भव सागर से तार दे.
धरती धवल गगन गूंजता
कण कण स्वर उच्चार दे.”
सरिता जी ने मौजूद श्रोताओं को धन्यवाद देते हुए एक बहुमत के एकता के सूत्र में जो बाँधने का प्रयास किया उसके लिये आभार प्रकट किया और इसी के साथ बहु भाषी कवि सम्मेलन संपन्न हुआ.
प्रस्तुतकर्ताः
देवी नागरानी
न्यू जर्सी, यू एस ए
१८ नवंबर, २००७